गौरैया
बरसों बाद दिखीं गौरैयाँ
वे मेरे बचपन की चिड़ियाँ
चहचहा रही थीं अनार पर
फुदक-फुदक-फुर्र,डाल-डाल पर
नयनों को विश्वास न आया
पग, जाने को निकट, बढ़ाया
देख उन्हें, ऐसे चहका मन
मानो, मिल गए बिछुड़े प्रियजन
मन ही मन पूछा यह उनसे
क्या नाराज़ थीं तुम हमसे
फिर हम सब को छोड़ न जाएँ
आओ मिलकर इन्हें बचाएँ
चारु शर्मा
20/03/2024
25 -30 वर्ष पूर्व हर घर के आँगन में फुदकने वाली गौरैया लोगों के लिए चिड़िया का पर्याय थी। अनेक लोग उसे चिड़िया कह कर ही सम्बोधित करते थे। आज यह प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है। आइए, इनके संरक्षण में अपना योगदान दें। 🙏
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