चल फिर देसी हो जाएँ !
बहुत किया परदेस में पर्यटन
अब असम और केरल जाएँ
देखें रौनक राजस्थान की
कश्मीर की मोहक हिम शिखाएँ
चल , फिर देसी हो जाएँ !
बहुत थिरके पश्चिमी धुनों पर
आ, भांगड़े से धूम मचाएँ
कथक ,भरतनाट्यम,ओडिसी,
गरबा, घूमर में रम जाएँ
चल, फिर देसी हो जाएँ !
बहुत पहने परिधान विदेशी
चल खादी की शान बढ़ाएँ
कांथा, चिकनकारी, चंदेरी
कांजीवरम पहन इठलाएँ
चल , फिर देसी हो जाएँ !
बहुत जतन से सीखी इंग्लिश
खूब कमाया उससे नाम
बिछड़ गए पर मातृभाषा से
देते- देते इंग्लिश पर ध्यान
फिर हिंदी व्यवहार में लाएँ
अपनी मिट्टी से जुड़ जाएँ
चल, फिर देसी हो जाएँ !
चारु शर्मा
११ /८/२०२०
शब्द - अर्थ (word- meaning):
पर्यटन - विभिन्न स्थानों का भ्रमण (tourism)
हिम-शिखाएँ - बर्फ से ढकी हुई पहाड़ों की चोटियाँ (snow clad mountain peaks)
धुनों - tunes
परिधान - वस्त्र (dresses)
जतन - यत्न ,प्रयास , कोशिश (effort)
मातृभाषा - अपने घर में बोली जाने वाली भाषा , स्वभाषा (mother tongue)
व्यवहार - प्रयोग (use)
मुहावरा (idiom):
नाम कमाना -प्रसिद्ध होना (to earn fame and respect)
Great work di 👏👏
ReplyDeleteसामयिक और सुंदर कविता।
ReplyDeleteसामयिक और सुंदर कविता।
ReplyDeleteसामयिक और सुंदर कविता।
ReplyDeleteआज ग्लोबलाइजे़शन के समय में हम अपनी समृद्ध एवं गौरवशाली भाषा तथा संस्कृति को साथ लेकर चलें और उसे बढ़ावा दें इसी में संपूर्ण राष्ट्र की उन्नति है। इस दिशा में यह कविता विशेष योगदान देगी।👏👏👏
ReplyDelete-डाॅ शारदा शर्मा
Nice
ReplyDeleteGood for children giving them a view of Indian culture
ReplyDelete😀
ReplyDeleteNice
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