दिल से

मेरी बिटिया बड़ी हो गयी


कल ही तो खोली थीं उसने आँखें मेरे अंक में 
पकड़ के उँगली सीख रही थी चलना मेरे संग में 
किलकारियों से उसकी गूँज उठा था मेरा घर आँगन 
देख उसे बाँछें खिल जाती थीं,गद्‍गद हो उठता था मन           

कल ही तो कितने प्यार से , लिखना उसे सिखाया था 
जब उसने ' माँ ' लिखा कलम से,कैसा जी सिहाया था!
पटरे  पर चढ़ कर जब उसने बेली रोटी  साथ में  
लगा कि खुशियों के सारे रंग आ गये  मेरे हाथ में 

कल ही तो फटकारा था जब काम से जी थी चुरा रही 
डाँटा था जब घर के काम में हाथ नहीं थी बँटा रही 
छोटी बहन के साथ जब एक पैंसिल पर थी झगड़ रही 
कैसे समझाया उसको जब बात नहीं थी सुन रही 

आज वो मेरी नन्ही परी मुझे देश विदेश घुमाती है 
नयी तकनीकों और कलाओं से,अवगत मुझे कराती है 
स्वावलंबी है,होनहार है, बढ़ रही लेकर सोच नयी 
लगा पंख उड़ गया समय ,मेरी बिटिया बड़ी हो गयी 😊😊

                                                      चारु शर्मा
                                                     २७/२/२०२० 

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