Monday, 7 February 2022

 

प्रकृति की पुकार 

















दरवाज़े पर घंटी बजी। सोनल ने दरवाज़ा खोला। "जन्मदिन मुबारक हो!"
सामने अपनी प्यारी सहेली , दीपा को देख सोनल झट से उसके गले लग 
गई और उसे भीतर ले आई। दीपा ने सोनल को तोहफ़ा दिया और साथ 
में लाई ताज़ी सब्ज़ियों का थैला मेज़ पर रख दिया। 
सोनल की सासु माँ भी दीपा से मिलने ड्रॉइंग रूम में आ गईं। सौम्य 
स्वभाव की दीपा, उन्हें भी बहुत प्रिय थी।  
सोनल झट से चाय - नाश्ता लेकर आई और तीनों की गपशप का 
सिलसिला शुरू हो गया। 
बात करते -करते ,सोनल की नज़र थैले में से झाँकते लाल, गोल-मटोल 
टमाटरों और चौड़े, हरे पालक के पत्तों पर पड़ी तो मज़ाक में पूछ बैठी, 
" ये भी बर्थ डे गिफ्ट है क्या?" दीपा मुस्कुरा कर बोली, "ऐसा ही समझ 
ले। मेरे टैरेस गार्डन के हैं। "पहली फ़सल तुझे ही गिफ़्ट की है।" कहते 
हुए हँस पड़ी। 
अरे वाह! घर पर ही इतनी अच्छी सब्ज़ियाँ उगा लीं। "खाद वगैरह  कहाँ 
से लाई?" दीपा ने बताया कि वह घर पर ही सब्ज़ियों और फलों के 
छिलकों से जैविक खाद बनाती हैऔर उसे ही अपनी बागवानी के लिए 
प्रयोग में लाती है। 
कौतूहलवश सोनल ने उससे पूछा," तुम्हें खाद बनानी आती है?" दीपा ने 
उत्तर दिया,"आती तो नहीं थी पर मैं 'स्वयं से परिवर्तन' नामक एक 
नागरिक समूह से जुड़ गई हूँ जो लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक 
करता है और उन्हें कई ऐसे उपायों से अवगत कराता है जिन्हें  हम सब 
अपनी जीवन शैली का अंग बनाकर अपने आसपास और अंततः पूरी 
धरती पर बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम में अपना योगदान दे सकते हैं। 
उसी समूह के सदस्यों से मैंने  घर पर खाद बनाना सीखा। 
सोनल की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। उसे ध्यान आया कि पिछले माह 
दीपा ने अपनी बिल्डिंग के पीछे खाली पड़ी ज़मीन पर कचरा साफ़ 
करवा कर उसमें वृक्षारोपण कराया था और अब उन पौधों की देखभाल 
भी कर रही थी। उसने फिर पूछा, तो और क्या-क्या करती हो तुम, उस 
समूह के साथ ?"

दीपा बोली ," हम लोगों को प्रेरित करते हैं कि वे उपभोक्तावाद से बचें ,
अनावश्यक सामान न खरीदें, अपने सामान को नाहक ही कचरे में न 
फेंकें। या तो उसे किसी  ज़रूरतमंद को दे दें या सृजनात्मक रूप से 
पुनः प्रयोग में लाने का प्रयास करें। हम लोगों को सिंगल यूज़ प्लास्टिक 
के नुकसान और कचरा पृथक्करण के फ़ायदे समझाते हैं। ऐसी ही 
बहुत  सारी  बातें। "
"हम्म.. तो मैडम अब एक्टिविस्ट बन गई हैं। " दीपा की बात ग़ौर से 
सुन रही सोनल ने चुटकी ली। तभी उसकी सासु माँ  बोलीं ," यह तुमने 
बहुत अच्छा काम शुरू किया है, दीपा। वर्तमान समय में  इस जन 
जागरूकता की बहुत आवश्यकता है। हमारे ज़माने  में  न तो इतनी 
आबादी थी और न ही इतने उत्पाद। लोगों की ज़रूरतें भी इतनी और 
ऐसी  नहीं थीं, जैसी अब हैं। इसीलिए  बदलते समय के साथ नई पीढ़ी 
को अपनी जीवन शैली और विभिन्न संसाधनों के प्रयोग को नए रूप में 
ढालना होगा  नहीं तो यह चारों तरफ़ बढ़ता प्रदूषण और जलवायु 
परिवर्तन हमें विनाश की ओर  ही ले जाएगा। "
पास में बैठा खेल रहा सोनल का बेटा अंदर जाकर, अपना बनाया हुआ 
एक पोस्टर ले आया जिस पर लिखा था, " SAVE NATURE, SAVE 
THE EARTH" और चहक कर बोला,"आंटी, आप यही करती हो न ?"

दादी ने प्यार से पोते के सिर पर हाथ  फेरा और बोली," बेटा हम  नेचर 
को क्या बचाएँगे। हम तो जो भी करेंगे वह स्वयं को बचाने के लिए ही होगा।
प्रकृति हम पर नहीं बल्कि हम प्रकृति पर आश्रित हैं।  प्रकृति तो ईश्वर  का 
ही दूसरा नाम है। वह सदा से धरती पर और धरती के बाहर भी किसी न 
किसी रूप में विद्यमान थी और आगे भी रहेगी। वह ईश्वर की तरह ही 
सर्वशक्तिमान और अनश्वर है। जो नश्वर है वो हम हैं इसीलिए हमें  प्रकृति 
की पुकार  ध्यान से सुननी  चाहिए। सच पूछो तो वह पुकार नहीं  
चेतावनी  है जो सभी प्राकृतिक तत्व  हमें अलग-अलग तरह से दे रहे हैं। 
हमें सचेत हो जाना चाहिए।" फिर दीपा की तरफ़ देखकर बोलीं , " आज 
हमें तुम्हारी दीपा आंटी जैसे कई लोगों की आवश्यकता है। चलो हम लोग 
भी इस नागरिक समूह से जुड़ जाएँ और जन-जन  तक प्रकृति का 
संदेश पहुँचाएँ। पहले हम अपनी आदतों में सुधार करेंगे फिर औरों से भी 
आग्रह करेंगे। इसी में हमारी और आने वाली पीढ़ियों की भलाई है।"

"दीपा मुझे भी उस समूह में शामिल कर लेना।"  पीछे खड़े, सोनल के 
पति, राहुल की आवाज़ आई। वह कुछ देर पहले ही बाहर से आया था 
और बहुत ध्यान से उन सब की बातें सुन रहा था। प्रकृति का संदेश एक 
और मानव तक पहुँच गया था। .. 
                             
                    चारु शर्मा 
                    ६/२/२०२२ 





जैविक खाद - Organic fertilizer
कौतूहलवश - Out of curiosity
परिवर्तन  - Change
पर्यावरण - Environment
अवगत - Aware, Cognizant
जीवन शैली - Life style
प्रदूषण - Pollution
वृक्षारोपण - Tree plantation
उपभोक्तावाद - Consumerism
सृजनात्मक - Creative
कचरा पृथक्करण - Garbage Segregation
उत्पाद - Product
संसाधनों - Resources
जलवायु परिवर्तन - Climate change
आश्रित - Dependent
विद्यमान - Existing
सर्वशक्तिमान - Omnipotent, All powerful
अनश्वर - Immortal, which cannot be destroyed
नश्वर - Mortal
प्राकृतिक तत्व - Natural elements




15 comments:

  1. very good story, we all should follow eco-friendly practices as far as possible 👏👏👏

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  2. Wonderful story with a well narrated message ����

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  3. Hopes everyone understand the feeling to live with Nature

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  4. I wish everyone becomes like Deepa and work together to save the nature

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  5. बहुत सुन्दर एवं प्रेरणादायक हम सभी को प्रकृति की रक्षा करते रहना चाहिए।

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. Beautiful. Charu so well written in pure hindi.

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  8. Thankyou dear friends for such appreciative and encouraging comments 🙏😊

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  9. Nature must be respected- message well conveyed through the story

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  10. Very beautifully written. The message is so loud and clear .

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  11. It's lovely write up, with a theme that's is the need of the hour

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