हे समाज !
नहीं चाहिए महिमा मंडन,साधारण ही रहने दो।
नहीं चाहिए रत्नाभूषण,सब अलंकरण रहने दो।।
मत दो उपमा मुझे चाँद की,कौमुदी या पुष्प की।
मत मुझको कहकर पुकारो,देवी,दुर्गा,सरस्वती।।
मुझे वचन दो गर्भ में ही न , मौन करा दी जाऊँगी।
किसी अमानुष के हाथों , शोषित न होने पाऊँगी।।
नहीं प्रताड़ित कर पाएँगे, दहेज के लोभी मुझको।
अग्निपरीक्षा से पग-पग पर,नहीं गुज़ारी जाऊँगी।।
कोमल हूँ,निर्बल नहीं, दे सको तो यह विश्वास दो।
पुरुष प्रधान नहीं मुझको,सुगठित,संतुलित समाज दो।।
चारु शर्मा
०७/०३/२०२२
Translation of typical words
महिमा मंडन - glorifying
अलंकरण - ornamentation
कौमुदी (चाँदनी ) - moonlight
शोषित - exploited
प्रताड़ित - harassed, tortured
दहेज - dowry
👍
ReplyDelete🙏😊
DeleteVery beautiful Charu !
ReplyDeleteThankyou didi 🙏😊
DeleteWonderful..bahut sundar!!! 🙏
ReplyDelete🙏😊
Deleteबहुत ही सुंदर व सार्थक सृजन चारु जी , नारी की वास्तविक अभिलाषा का सजीव चित्रण किया आपने ।
ReplyDeleteमहिला दिवस की हार्दिक बधाइयाँ
बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏😊
Deleteसारगर्भित शब्दों में आपकी कविता बहुत अच्छी है इसमें केवल आपकी भावनाएं ही नहीं झलक रही हमारी भावनाएं भी उजागर हुई है महिला दिवस की आपको बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद 🙏😊
Deleteसारगर्भित शब्दों में आपकी कविता बहुत अच्छी है इसमें केवल आपकी भावनाएं ही नहीं झलक रही हमारी भावनाएं भी उजागर हुई है महिला दिवस की आपको बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद 🙏😊
Deleteनमस्कारं
ReplyDeleteमहिला मन ऐसे महान सदगुणों का संग्रहालय है, जिनसे मानवता बारम्बार सृजित होती रहेगी।
🙏😊
DeleteBrilliant 👍🏻
ReplyDeleteThankyou Tina😊
DeleteNice one charu! Bhavna
ReplyDeleteThankyou Bhavna😊
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