Monday, 7 March 2022

  हे समाज !











नहीं चाहिए महिमा मंडन,साधारण ही रहने दो। 
नहीं चाहिए रत्‍नाभूषण,सब अलंकरण रहने दो।।

मत दो उपमा मुझे चाँद की,कौमुदी या पुष्प की। 
मत मुझको कहकर पुकारो,देवी,दुर्गा,सरस्वती।।

मुझे वचन दो गर्भ में ही न , मौन करा दी जाऊँगी। 
किसी अमानुष के हाथों , शोषित न होने पाऊँगी।।

नहीं प्रताड़ित कर पाएँगे, दहेज के लोभी मुझको। 
अग्‍निपरीक्षा से पग-पग पर,नहीं  गुज़ारी जाऊँगी।। 

कोमल हूँ,निर्बल नहीं, दे सको तो यह विश्‍वास दो। 
पुरुष प्रधान नहीं मुझको,सुगठित,संतुलित समाज दो।।

                                   चारु शर्मा 
                                   ०७/०३/२०२२ 
 

Translation of typical words

महिमा मंडन - glorifying
अलंकरण  - ornamentation
कौमुदी (चाँदनी ) - moonlight
शोषित -  exploited
प्रताड़ित - harassed, tortured
दहेज  -  dowry

18 comments:

  1. Wonderful..bahut sundar!!! 🙏

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  2. बहुत ही सुंदर व सार्थक सृजन चारु जी , नारी की वास्तविक अभिलाषा का सजीव चित्रण किया आपने ।
    महिला दिवस की हार्दिक बधाइयाँ

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏😊

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  3. सारगर्भित शब्दों में आपकी कविता बहुत अच्छी है इसमें केवल आपकी भावनाएं ही नहीं झलक रही हमारी भावनाएं भी उजागर हुई है महिला दिवस की आपको बहुत-बहुत बधाई।

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    1. बहुत -बहुत धन्यवाद 🙏😊

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  4. सारगर्भित शब्दों में आपकी कविता बहुत अच्छी है इसमें केवल आपकी भावनाएं ही नहीं झलक रही हमारी भावनाएं भी उजागर हुई है महिला दिवस की आपको बहुत-बहुत बधाई।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏😊

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  5. नमस्कारं
    महिला मन ऐसे महान सदगुणों का संग्रहालय है, जिनसे मानवता बारम्बार सृजित होती रहेगी।

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