Wednesday, 6 December 2017


कभी तो ! ...........😎😇😎



जब कभी मेरा ग़ुरूर 
इतरा के सर उठाता है
जाने क्यों मुझ को मुझ से
बेहतर कोई मिल जाता है !

अय ख़ुदा, क्यों है तेरा 
मुझ से छत्तीस का आँकड़ा
क्यों मेरे इठलाने की
राहों में टाँग अड़ाता है ? 

सोचा कितनी मर्तबा 
कुछ काम ऐसा कर जाऊँ
लूटूँ वाह-वाही सभी की
इस दुनिया पर छा जाऊँ

हाय! पर तक़दीर ही कुछ 
ऐसी लिख दी है तूने
मुझसे पहले दूजा कोई
उस काम को कर जाता है 

जानता हूँ सोची समझी 
है ये एक साज़िश तेरी
इसलिए मौला मेरे सुन
इतनी सी ख़्वाहिश मेरी

कभी तो ऐसा भी कर कि 
मुझ से न बेहतर हो कोई
इठलाऊँ जी भर के मैं
भूल कर ये सादगी 😎😎

             चारु शर्मा
              ६ / १२/ १७



शब्दार्थ (word - meaning) :


१. ग़ुरूर - अहंकार, घमण्ड / घमंड (vanity)

२. ख़ुदा - भगवान (God)

३ .' छत्तीस का आँकड़ा ' (मुहावरा) - परस्पर विरोध (never in agreement with each other)

४. इठलाना  - इतराना , गर्वसूचक चेष्टाएँ (हरकतें) करना (to act pricey)

५  . मर्तबा - बार (times)

६  . तक़दीर - किस्मत, भाग्य (destiny)

७ . साज़िश - चालबाज़ी, मन्त्रणा / मंत्रणा (conspiracy)

८  . मौला - भगवान

९  . ख़्वाहिश - इच्छा , चाह (wish)

१०. सादगी  - सरलता , सादापन (humility)

2 comments:

  1. Hi Charu, bahut khubsurat kavita hai! Keep writing and sharing...I loved it!

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