Monday, 26 February 2018




प्रभु, प्रकृति और प्लास्टिक 






ईश्वर  की आराधना में 
प्लास्टिक कहाँ से आ गया 
निर्मल,पावन देवालयों में 
कब यह प्रवेश पा गया

साथ पूजा सामग्री के 
प्लास्टिक थैले आ रहे 
प्रसाद भी अब भक्त गण
प्लास्टिक पात्रों में पा रहे 

जहाँ है शोभा पत्र , पुष्प से 
प्लास्टिक की लग रही झड़ी 
प्रभु संग ही बस प्रीति  रही 
प्रकृति संग टूट रही कड़ी 

कान्हा का तो वैजन्ती 
माला से ही करते शृंगार  
पर बिन ग्लानि गोवर्धन पे 
लगाते प्लास्टिक के अम्बार 

चालीसा भी पवन पुत्र की 
तन्मय हो कर गाते हैं 
किन्तु खुली हवा में प्लास्टिक 
निःसंकोच जलाते हैं 

गंगा, यमुना की महिमा का 
भाव - विभोर हो,करें बखान 
फूल, फलों संग प्लास्टिक भी 
जल में सिरा आते यजमान 

पहुँच यह पशुओं के उदर में 
हर लेता है उनके प्राण 
गौ को माता मानते पर 
रखते न  इस बात का ध्यान 

न तुलसी से गुण इसमें 
न चन्दन सा यह सुगन्धित 
बिखर के चारों ओर करे बस 
पर्यावरण  को  प्रदूषित 

माटी से उर्वरता छीने
अशुद्ध कर दे वायु ,जल 
भिन्न - भिन्न रूपों में जाकर 
जब यह जाए उन में मिल 

एक हैं प्रभु और प्रकृति 
यह सत्य बदल न जाएगा 
जिसका मेल न प्रकृति से 
वह प्रभु को कैसे भाएगा 

आओ लें सौगन्ध हरि की 
और उठाएँ पहला कदम 
मंदिर के परिसर में अब से 
प्लास्टिक न ले जाएँ  हम 🙏🙏

                   चारु शर्मा





शब्दार्थ (word - meaning) :
१. आराधना - पूजा (Prayer)२. गण  - समूह (Group)३. पात्रों - बरतनों  ( Utensils)४. पत्र  - पत्ता  (Leaf )५. झड़ी - हलकी किन्तु लगातार वर्षा ६. कड़ी - ज़ंजीर का एक छल्ला ( Link)७. ग्लानि - अपने किसी कार्य  पर उत्पन्न खेद , पश्चात्ताप (Repentance)८. अम्बार - ढेर (Heap)९. तन्मय - तल्लीन (Engrossed)१०. निःसंकोच - बिना संकोच (Without hesitation)११. महिमा - बड़प्पन , महत्ता  (Glory)१२. सिराना - पानी में डुबाना १३. यजमान  - दक्षिणा आदि देकर ब्राह्मणों से धार्मिक कार्य करानेवाला १४. उदर  - पेट ( Stomach)१५. उर्वरता - उपजाऊपन (Fertility) १६. परिसर -  (Premises)

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