Thursday, 14 May 2015

गर्मी की छुट्टियाँ

         

          

      आ गयीं गर्मी की छुट्टियाँ
      भर कर पोटली में खुशियाँ
      जल्दी से  खोलो यह पिटारा
 देखें अंदर का नज़ारा


      हमें दिख रहे सैर-सपाटे
      हम नये -नये स्थलों पर जाते
      शिमला , नैनीताल , मसूरी
      गोवा , केरल , पांडिचेरी

     कोई नानी के जा रहा
     मनपसंद व्यंजन खा रहा
     किसी के दादा -दादी  आये
     संग में ढेर खिलौने  लाये

    माँ पढ़ने को नहीं कह रही
    मस्ती की नदिया बह रही
    पंछी से आज़ाद उड़ रहे
    खेल-कूद रहे , मौज कर रहे

    लुक्का-छिप्पी,खो-खो ,हॉकी
    कभी क्रिकेट ,कभी तैराकी
    कभी भर रहे चित्रों में रंग
   कभी गा रहे मित्रों के संग

   आइसक्रीम से फ्रिज भरे हैं
   आमों के मेले लगे हैं
   गोल-गप्पों  की भरमार
   चॉकलेट,टॉफ़ी के अंबार

   देख नज़ारा रहा ना जाए
   चलो,बिना एक पल गँवाए
   छुट्टियों का आनंद उठाएँ
   खेलें,खाएँ , नाचें,गाएँ 


           

                   चारु शर्मा  
                १२/५/१५ 

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