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Saturday, 5 September 2015
मेरा बगीचा
मेरा बगीचा सबको भाए
जो देखे , इसके गुण गाए
फूल खिले हैं क्यारी - क्यारी
सदैव इठलाती फुलवारी
घास इसकी है जैसे मखमल
हरी, गुदगुदी और कोमल
दीदी और मैं इस में खेलें
तितली पकड़ें , झूला झूलें
चिड़ियों को भी बड़ा सुहाए
फुदकें इसमें , चहचहाएँ
चारु शर्मा
२/९/१५
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