चाँद गया छुट्टी पर देखो
चमक उठे लाखों तारे
दूर गगन में झिलमिला रहे
दिखते हैं कितने प्यारे
आसमान में धूम मचाते
चमक-दमक कर चारों ओर
देखो मुस्काता है अम्बर
खिल उठा उसका हर छोर
नन्हे-नन्हे सिपाहियों ने
आज सँभाली है कमान
ठान कर निकले हैं कि बस
सजा डालेंगे आसमान
देखो,जो वह जगमगा रहा
उत्तर में, ध्रुव तारा है
चमक रहे हैं संग सप्तॠषि
क्या मोहक नज़ारा है
रात अमावस की है फिर भी
नभ की छटा निराली है
यूँ लगता है जैसे ईश के
घर में आज दिवाली है
छत पर बैठूँ और निहारूँ
हीरों से जड़ा आकाश
ओ कोमल पवन तू ले चल
उन सुन्दर तारों के पास
चारु शर्मा
30.01.15
These poems have simple and polished language which helps in enriching one's Hindi vocabulary. :)
ReplyDeleteThese poems help children in visualizing n enable them to expand the horizon of their imagination
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