तितली
एक छोटी सुन्दर सी तितली
रोज़ बाग़ में आती है
रंग - बिरंगे फूलों से
जाने क्या बात बनाती है
शायद उनका नाम पूछती
और अपना बतलाती है
मैं जो जाऊँ पास उसके
दूर कहीं उड़ जाती है
उसके कोमल पंख सजीले
उड़ती है क्यारी क्यारी
उसके आने से और भी
खिल उठती है फुलवारी
चारु शर्मा
३०/८/१४
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