Tuesday, 9 September 2025

 हिंदी हैं हम🙏😌😊

हिंदी से  हट रहा है।

इसका प्रयोग घट रहा है। 

बड़े-बड़े दिग्गज, शिक्षित जन

करते दिखते यह संशोधन👇😉

"मैं नीं आऊँगा, मैं नीं खाऊंँगा, 

मैं तुमको कुछ नीं बताऊंँगा।"😁


मिलते ऐसे कई उदाहरण। 

सोच में पड़े वैयाकरण।।

"मैं आ रइ ऊँ, मैं आ री ऊँ,

मैं सब्जी लेने जा री ऊँ।"

कानों को न सुनाई दे रहा,

लिपि में ही  दिखाई दे रहा।।🤔


महाप्राण व अल्प प्राण में

भी अब तो होता है भ्रम ।

उच्चारण की शीघ्रता में,

अनर्थ कर देते हैं हम।।

*कड़ाही* का हो गया *कढ़ाई

*गढ़ी* हो रहा है *घड़ी* ।।

*गाढ़ी* सुनाई देता *गाड़ी

*चढ़ी* बन रहा है *छड़ी* ।।🤦🏻‍♀️🤷🏻‍♀️

 


उथल-पुथल है उच्चारण में,

आग लगी है व्याकरण में। 

*मैं* , *मैंने* का भूले अंतर।

*स्त्रीलिंग, पुल्लिंग* हैं छूमंतर।। 🙆🏻‍♀️🙆🏻‍♂️

जिसका जो मन, बोल रहा है। 

कोई मुख ही मोड़ रहा है।।


खु़द निज भाषा तिरस्कृत कर,

हिंदी भाषी गिरा रहे स्तर।

यूँ मत बने रहो अनजान,

उठो नींद से, लो संज्ञान।।


मातृभाषा है जननी सम,

कभी न आंँकना इसको कम।

अभिव्यक्ति का दे उजाला।

बचपन से हमको है पाला।।


दूर करो हर भ्रम, दिखावा। 

शुद्ध हिंदी को दो बढ़ावा।।


(भड़ावा नहीं!🤪😜😃😂)


-चारु शर्मा

09/09/2025

5 comments:

  1. सही बात है शुद्धता का अभाव

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  2. You have been so thoughtful and understanding 💕..a beautiful initiative..

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  3. शिकायतें तो सबको हैं, पर सुधार का निश्छल प्रयास आप जैसी हिंदी भाषा की अनन्य प्रेमी से ही किया जा सकता है। आपके प्रयासों की अनुमोदना।

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  4. Bahut sahi kaha . School mein teachers ko speaking par bhi dhyan dena chahiye.

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