हिंदी पखवाड़ा
आया है रे माह सितंबर!
गूंँज रहा है हिंदी का स्वर।।
गोष्ठी, नाटक, कविता, क्रीड़ा।
गद्य ,पद्य की झंकृत वीणा।।
संकोची भी हो रहे मुखर।
गूँज रहा है हिंदी का स्वर ।।
देख, पर्व मनता भाषा का।
नया दीप जलता आशा का।।
इच्छा पुनर्स्थापन की प्रखर।
गूँज रहा है हिंदी का स्वर।।
नहीं व्यथित अब हम विरोध से।
उदासीनता या अवरोध से।।
चलाएंँगे हिंदी की लहर।
गूंँजे और ऊंँचा इसका स्वर।।🙏
-चारु शर्मा
03/09/2025
No comments:
Post a Comment