Wednesday, 16 July 2014

बादल


 मोटे काले से बादल
 कहाँ चले इतना जल भर कर

 तनिक इधर भी नज़र घुमाओ
 थोड़ा जल हम पर बरसाओ

 जी भर बारिश में खेलें हम
 मार छपाके, करें खूब उधम

 कागज़ की हम नाव बनाएँ
पानी में उसको तैराएँ

 लें आनंद आज दिन  भर
 बरसो  बादल झर-झर-झर-झर


              चारु 
              16.7.14

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