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नन्हे - मुन्ने
कहानी
Wednesday, 16 July 2014
बादल
ओ
मोटे
काले
से
बादल
कहाँ
चले
इतना
जल
भर
कर
तनिक
इधर
भी
नज़र
घुमाओ
थोड़ा
जल
हम
पर
बरसाओ
जी
भर
बारिश
में
खेलें
हम
मार
छपाके
,
करें
खूब
उधम
कागज़
की
हम
नाव
बनाएँ
पानी
में
उसको
तैराएँ
लें
आनंद
आज
दिन
भर
बरसो
बादल
झर
-
झर
-
झर
-
झर
चारु
16.7.14
1 comment:
Mansi Sharma
26 August 2021 at 10:12
cute poem and lovely drawing :)
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cute poem and lovely drawing :)
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